词条 | Draft:Baba Saheb Apte Samarak Samiti |
释义 |
Baba Saheb Apte Samarak Samiti अखिल भारतीय इतिहास-संकलन योजनाअखिल भारतीय इतिहास-संकलन योजना इतिहास, संस्कृति, परम्परा आदि के क्षेत्र में कार्य करता है। सन् 1973 में श्री मोरेश्वर नीळकण्ठ पिंगळे की प्रेरणा से नागपुर में बाबा साहेब आपटे की स्मृति में इसकी स्थापना की गई। भारत एवं विदेशों में रह रहे इतिहास एवं पुरातत्त्व के विद्वान्, विश्वविद्यालयों में कार्यरत प्राध्यापक, अध्यापक, अनुसन्धान-केन्द्रों के संचालक, भूगोल, खगोल, भौतिशास्त्र आदि अनेक क्षेत्रों के विद्वान् तथा वैज्ञानिक एवं इतिहास में रुचि रखनेवाले विद्वान इस कार्य से जुड़े हुए हैं। योजना का ध्येय-वाक्य है- नामूलं लिख्यते किञ्चित (बिना मूल का कुछ भी नहीं लिखा है)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रथम प्रचारक श्री बाबा साहेब आपटे ने इतिहास में सम्यक् दृष्टि एवं सत्यापन के लिए बड़ा कार्य किया। उनके जीवनकाल में उनके विचारों को मूर्तरूप नहीं दिया जा सका। उनके देहान्त के बाद सन् 1973 में श्री मोरेश्वर नीळकण्ठ पिंगळे की प्रेरणा से नागपुर में ‘बाबा साहेब आपटे स्मारक समिति’ की स्थापना हुई। प्रारम्भ में इस समिति ने दो कार्य अपने हाथ में लिए- (१) संस्कृत का प्रचार-प्रसार, एवं (२) भारतीय-इतिहास का पुनर्लेखन एवं इसके निमित्त सामग्री का संकलन। प्रारम्भ में चार वर्षों तक इतिहास-पुनर्लेखन के कार्य के संबंध में देश के इतिहासकारों से विचार-विमर्श चलता रहा। अंततोगत्वा सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि इतिहास के पुनर्लेखन एवं सामग्री-संकलन का कार्य ‘अखिल भारतीय इतिहास-संकलन योजना’ के नाम से किया जाये। तत्पश्चात् 1980 से यह कार्य विधिवत् प्रारम्भ हुआ। आरम्भ से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मत रहा है कि भारतीय-इतिहास-लेखन का जो कार्य अंग्रजों के नेतृत्व में प्रारम्भ हुआ और वैज्ञानिक, वस्तुपरक शोध के नाम पर जिसे भारतीय-इतिहासकारों ने भी अपनाया, वह अनेक स्थलों पर पूर्वाग्रह से प्रेरित, तथ्यों के अज्ञान अथवा जान-बूझकर की गई उपेक्षा पर आधारित है जिसके कारण भारतीय-इतिहास में अनेक विसंगतियाँ एवं भ्रम उत्पन्न हो गए हैं। उपर्युक्त विचारों की पृष्ठभूमि में अखिल भारतीय इतिहास-संकलन योजना का उद्देश्य है भारतीय-कालगणना के आधार पर सृष्टि-रचना के प्रारम्भ से लेकर वर्तमान समय तक के इतिहास का पुनर्संकलन। यह पुनर्संकलन सत्य, सही, निष्पक्ष तथ्यों पर आधारित, किसी भी प्रकार के पूर्वाग्रह से रहित, आधुनिक वैज्ञानिक-अनुसंधानों और नवीनतम पुरातात्त्विक खोजों के आधार पर होगा। योजना के उद्देश्य के प्रमुख बिन्दु निम्नवत् हैं. 1. भारतीय-इतिहास में विद्यमान विकृतियों को दूर करना। 2. जिन विकृतियों के आधार पर भारतीय-इतिहास की रचना की गई है, उन विकृतियों का खण्डन करके इतिहास की पुनर्रचना। 3. इस प्रकार की पुनर्रचना के लिए प्राच्यविद्या की विभिन्न विधाओं से संबंधित प्रकाशित-अप्रकाशित प्रामाणिक सामग्री का जिला तथा ग्राम-स्तर पर संकलन। 4. महाभारत-काल से लेकर वर्तमान तक और भारतीय-कालगणना के आधार पर जिला-सह भारतीय-दृष्टिकोण से और भारतीय-कालगणना के आधार पर इतिहास-लेखन की व्यवस्था करना। 5. एतदर्थ योग्य व्यक्तियों, संस्थाओं तथा संगठनों आदि से सम्पर्क स्थापित करते हुए उन्हें संगठित एवं प्रेरित करना। 6. भारतीय-संस्कृति, प्राच्यविद्या एवं पूर्वजों की विशिष्ट उपलब्धियों के प्रति सामान्य व्यक्ति के हृदय में आदर-अनुराग, अभिरुचि एवं चेतना उत्पन्न करने के लिए कार्यक्रम आयोजित करना। 7. भारतीय-इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्त्व से संबंधित अनुसंधानों को प्रोत्साहित करने के लिए संगोष्ठियों, परिचर्चाओं एवं विशेष व्याख्यानों आदि का आयोजन करना। अखिल भारतीय इतिहास-संकलन योजना के मुख्य प्रकल्प निम्नलिखित हैं-आर्य-आक्रमण समस्या का निराकरण पुराणों में इतिहास हिंदू-कालगणना का वैज्ञानिक एवं वैश्विक स्वरूप महाभारत-युद्ध की तिथि 3139-38 ई॰पू॰ वैदिक सरस्वती नदी शोध-अभियान भगवान बुद्ध की तिथि 1887-1807 ई॰पू॰ सेण्ड्रोकोट्टस बनाम चन्द्रगुप्त मौर्य जगद्गुरु आद्य शंकराचार्य की तिथि 509-477 ई॰पू॰ प्राचीन नगरों का युगयुगीन इतिहास तीर्थ-क्षेत्रों का इतिहास-लेखन 1857 के स्वातन्त्र्य महासमर पर प्रामाणिक इतिहास-लेखन जनजातीय इतिहास-लेखन भारतीय संस्कृति का विश्व-संचार Baba Saheb Apte Passed away in 1972 but his multi pronged action plan to rediscover the cultural and historical strength of Bharat had to be continued. His vision of renaissance was comprehensive which included (a) revival of Sanskrit as a spoken language of the country, (b) to prove that river Saraswati was geographical fact and not a myth, (c) an urgent need to correct the course of History which got strayed under the influence of foreign invaders, and (d) to re-established the Bharatiya values which made India a Vishwa Guru in the past. A gigantic effort was needed to put in practice the dreams of Baba Saheb Apte. It led to the formation of Baba Saheb apte Samarak Samiti on July 26, 1972 and subsequently at least a dozen more organizations by M.P.P. to accelerate the task of Hindu Renaissance (see foot note). Moropant ji took special interest in finding the evidence of the existence of river Saraswati. He undertook a padyatra starting from Haryana to Rajasthan North Gujarat and Kutch. He was accompanied by historians, surveyors, archeologists and with the efforts of experts and scholars Saraswati has been translated from from myth to a geo-historical reality. With the demise of M.P.P the baton was passed on to Thakur Ram Singh Ji. Sri Baba Saheb Apte Smarak Samiti |
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