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{{AFC submission|d|lang|u=150.107.8.149|ns=118|decliner=Dan arndt|declinets=20181119083435|ts=20181119081353}} {{AFC submission|d|lang|Hindu|u=150.107.8.149|ns=118|decliner=Dan arndt|declinets=20181119071556|small=yes|ts=20181119060519}} जैमिनि सुत्र अनुसार राशि व ग्रह दृष्टी जिस प्रकार पारशर मत मे ग्रहो की एकपाद, द्विपाद, त्रिपाद व पुर्ण दृष्टी होती है वैसा जैमिनि सुत्र में नही होता यहा पर राशियों को केवल पुर्ण दृष्टी ही होती है |
सुत्र :- अभिपश्यन्त्युक्षाणि | २ | पार्श्वभे च | 3 | |
जैमिनिय मत से राशियां भी दुसरी राशियों पर दष्टि रखती है इस विषय में नियम है कि सभी राशिया सामने पडने वाली व पार्श्व में पडने वाली राशियों को देखती है |
चर राशिया – मेष, कर्क, तुला, मकर
स्थिर राशिया –वृषभ, सिंह, वृश्चिक, कुंभ
द्विस्वभाव राशिया – मिथुन, कन्या, धनु, मिन
चर राशिया अपने से द्वितिय स्थान की स्थिर राशि को छोडकर शेष स्थिर राशियो को देखती है |
उदाहरण – मेष राशि, वृषभ राशि को छोडकर सिंह, वश्चिक, कुंभ को देखेगी | स्थिर राशिया अपने से द्वादश स्थान मे स्थित चर राशियो को देखती है |
उदाहरण – वृषभ राशि मेष राशि को छोडकर कर्क, तुला मकर पर दृष्टी करेगी|
द्विस्भाव राशिया स्वयं को छोडकर बाकी सभी द्विस्भाव राशियो पर दृष्टी करेगी |
उदाहरण – मिथुन राशि स्वयं को छोडकर कन्या, धनु और मिन पर दृष्टी करेगी |
सुत्र :- तन्निष्ठाश्च तद्वत् | ४ | |
इन राशियो मे स्थित ग्रह भी पुर्वोक्त राशिद्रष्टी के अनुसार ही परसपर द्रष्टि करते है जैसे मेष राशि स्थित ग्रह पर वश्चिक, सिंह या कुंभ राशियों में स्थ्ति ग्रहो पर दृष्टी करेंगे |
निकटस्थ राशि मे स्थ्ति ग्रह को छोडकर चरराशिगत ग्रह स्थ्रिरराशिगत ग्रह हो देखेंगे, स्थ्रिरराशिगत ग्रह चरराशिगत ग्रहो को देखेंगे और द्विव्सभावगत ग्रह को देखेगे |
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