词条 | Draft:गीता से तीन गुण: |
释义 | इसमें बहुत संभाल कर बरतना चाहिए इससे आत्मा को अलग कैसे रखें बड़े सूक्ष्मा विचार की यह बात है सतगुरु को पूर्णता निर्मला नहीं करना है राजा तब तो पूर्ण याद ही करना पड़ता है परंतु सत्व गुण की भूमिका कुछ अलग है जब बहुत भीड़ इकट्ठा हो गई हो तो उसे तितर-बितर करना हो तो सिपाहियों को हुकुम दिया जाता है कि कमर के ऊपर नहीं पाओ की तरफ गोलियां चलाओ इससे मनुष्य मरता नहीं घायल हो जाता है इसी तरह सत्व गुण को घायल कर देना है मारना नहीं राजू और तमोगुण के चले जाने पर शुद्ध सत्व गुण रह जाता है जब तक हमारा शरीर कायम है तब तक हमें किसी न किसी भूमिका में रहना ही पड़ेगा तो फिर रज तम ओके चले जाने पर जो सत्व गुण रहेगा उससे अलग रहने का अर्थ क्या है सत्व गुण का अभिमान हो जाता है वह अभिमान आत्मा को अपने शुद्ध स्वरूप से नीचे खींच लेता है उदाहरण के लिए लालटेन का प्रकाश स्वच्छ में बाहर फैलाना हो तो उसके अंदर की सारी गाली देनी पड़ती है यदि कांच पर धूल जम गई हो तो वह भी दो डालनी पड़ती है इसी तरह आत्मा की प्रभा के आसपास जो तमोगुण रूपी का लीक जमा रहती है उसे अच्छी तरह दूर करना चाहिए उसके बाद रजोगुण रूपी धूल को भी साफ कर देना चाहिए इसी तरह जब तमोगुण धो डाला रजोगुण को साफ कर डाला तो अब सतगुरु 5 बाकी रह गया इस सत्व गुण को भी दूर करने का अर्थ क्या है हम कांच को ही फोड़ डाले नहीं यदि कांच ही फोड़ डालेंगे तो फिर प्रकाश का कार्य नहीं होगा ज्योति का प्रकाश फैलाने के लिए कांच तो चाहिए ही अतः इस शुद्ध चमक चमकदार कांच को फोड़े तो नहीं परंतु एक ऐसा छोटा सा कांच का टुकड़ा उसके सामने जरूर लगा दे जिससे आंखें चकाचौंध ना हो जाए सिर्फ आंखों का चकाचौंध न होने देने की जरूरत है शत्रु पर विजय पाने का अर्थ यह है कि उसके प्रति हमारा अभिज्ञान हमारी आसक्ति हट जाए सतगुरु से काम तो पूरा लेना है परंतु सावधानी से और युक्ति से सत्व गुण को निरंकारी बना देना चाहिए रजोगुण रजोगुण भी एक भयानक शत्रु है तंबू का ही दूसरा पहलू है बल्कि यह कहना चाहिए कि दोनों पर्यायवाची शब्द है जब शरीर बहुत दौड़-धूप कर ता है तब भी स्तर पर पढ़ना चाहता है तमोगुण से रजोगुण और रजोगुण तमोगुण पैदा होता है जहां एक है वहां दूसरा आया ही समझिए जिस तरह रोटी आग और गर्म राख के बीच में फस जाती है उसी तरह मनुष्य के आगे पीछे यह रजोगुण तमोगुण लगे ही रहते हैं रजोगुण कहता है इधर आ तुझे तमोगुण की तरफ उड़ाओ तमोगुण कहता है मेरी तरफ आ तुझे रजोगुण की ओर से ता हूं इस प्रकार यह रजोगुण और तमोगुण परस्पर सहायक होकर मनुष्य का विनाश कर डालते हैं फुटबॉल काजल जैसे ठोकर खाने से ही बीतता है रजोगुण का प्रधान लक्षण नाना प्रकार के काम करने की लालसा प्रचंड कर्म करने की अपार आ सकती रजोगुण द्वारा अप्पर पार्क कर्म संघ छिपता है लोभ आत्मक कर्म शक्ति उत्पन्न होती है फिर वासना विकारों का वे काबू में नहीं रहता राज्यों के प्रभाव से मनुष्य विविध धंधों कार्यों में टांग अड़ा ता है उसे स्वधर्म नहीं रहता वास्तविक स्वधर्म चरण का अर्थ है अन्य बहुतेरे कार्यों का त्याग गीता का कर्मयोग रजोगुण का रामबाण उपाय है रजोगुण में सब कुछ चंचल है पर्वत के शिखर से गिरने वाला पानी यदि विविध दिशा में बहने लगे तो फिर वहां कहीं का नहीं रह जाता सारा का सारा बिखर कर बेकार हो जाता है परंतु वहीं यदि एक दिशा में बहका तो आगे फिर उसकी नदी हो जाएगी उसमें से शक्ति उत्पन्न होगी देश को उससे लाभ पहुंचेगा इसी तरह मनुष्य यदि अपनी शक्तियां विविध उद्योगों में न लगाकर उसे एकत्र करके एक ही कार्य में शुभम व्यवस्थित रूप से लगाए तो उसके हाथ से कुछ कार्य हो सकेगा इसीलिए वह धर्म का महत्व है और यही उसका उपाय है वो धर्मों में जितनी शक्ति लगाओ उतनी ही कम है स्वधर्म में अपनी शक्ति सर्वस्व लगा देंगे तो फिर रजोगुण की दौड़-धूप वाली वृद्धि समाप्त हो जाएगी यह रीति है रजोगुण को जीतने की। हे अर्जुन सब देहा भी माननी को मोहित करने वाला तमोगुण फोटो अज्ञान से उत्पन्न ज्ञान वह उस जीव आत्मा को प्रमाद आलस्य और निद्रा के द्वारा बांधता है पहली बात है आलस्य जीतना दूसरी बात है नींद जीतना नींद वस्तुतः पवित्र वस्तु है सेवा कर के थके हुए साधु संतों की नींद एक योग ही है नींद गहरी गाड़ी होनी चाहिए नींद का महत्व लंबाई चौड़ाई पर नहीं जिस तरह वह जितना गहरा होगा उतना ही उसका पानी अधिक साफ और मीठा होगा उसी तरह नींद चाहे थोड़ी हो पर यदि गहरी हो तो उससे बड़ा काम बनता है मन लगाकर किया गया आधा आधे घंटे का अध्ययन चंचलता से किए गए तीन-चार घंटों के अध्ययन से ज्यादा लाभदायक होता है यही बात नींद की है लंबी नींद अंत में हित पर ही होती है ऐसा नहीं कह सकते बीमार 24 घंटे बिस्तर पर पड़ा रहता है बिस्तर की और उसकी लगातार भीड़ होती है परंतु मीन से भेंट नहीं होती सच्ची नींद जो गहरी और नी स्वप्न हो मरने पर यम यातना जो कुछ होती है तो हो परंतु जिसे नींद अच्छी नहीं आती दुख स्वप्न आते हैं उसकी यात्रा का हाल मत पूछिए वेद में रिसीव वेद मे ऋषि त्रस्त होकर कहते हैं ऐसी दुष्ट नींद मुझे नहीं चाहिए नींद आराम के लिए होती है परंतु यदि उसमें भी तरह-तरह के स्वप्न और विचार पिंड ना छोड़ते हो तो आराम कहां। मनका आलस विस्मरण का कारण है मन यदि जागृत रहे तो वह भूलेगा नहीं इसलिए भगवान बुद्ध ने कहा है विस्मरण मृत्यु है इस प्रमाद पर विजय के लिए आलस्य और निद्रा को जीटीए शरीर श्रम कीजिए और सतत सावधान रहिए जो काम करेंगे विचार पूर्वक करिए कृति के पहले विचार बाद में भी विचार आगे पीछे शरबत व विचार रूपी परमेश्वर खड़ा रहना चाहिए जब ऐसी आदत डाल लेंगे तो फिर सारे समय कोठी तौर से बांध रखेंगे इस उपाय से सारे तमोगुण को जीतने का प्रयत्न किया जा सकता है |
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