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词条 Draft:नेत्र दोष योग
释义
     नेत्र दोष योग 
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नेत्र दोष योग

रविशशियुते सिंहे लग्ने कुजार्किनिरीक्शिते

नयनरहितः सौम्यासौम्यैः सबुद्बुद्लोचनहः |

व्ययगृहगटतच्श्र्न्दरो वामं हिनस्त्यपरं रविर्न

शुभदिता योगा याप्या भवन्ति शुभेक्शिताः ||[1]

  • सिंह राशि के लग्न मे यदि सूर्य चंद्रमा स्थित होकर मंगल और शनि से दृष्ट हो तो जातक नेत्र हीन होता है|
  • यदि सिंह लग्न है, और सूर्य और चंद्रमा पर शुभ और पाप ग्रहो की दृष्टी हो तो जातक की नेत्र ज्योति मध्य्म होती है|
  • द्वादश भाव मे अगर च्ंद्र वाम नेत्र को और यदी द्वादश भाव मे सूर्य हो तो दक्षिण नेत्र को हानि होति है|यह योग अशुभ फलदायक है| यदि कोई शुभ ग्रह देख रहा है तो अशुभता

मे कमी होती है|

  • सूर्य,चंद्र,मंगल,शनि नेत्र दोष कारक ग्रह है| सिंह लग्न से सूर्य हो और शनि से दृष्ट हो तो दक्षिण नेत्र की ज्योति नष्ट हो जाती है|

सिंह राशी मे चन्द्र , मंगल और शनि से दृष्ट हो तो वाम नेत्र को हानि होति है| अष्टम मे सूर्य दक्षिण नेत्र का और षष्ट भाव मे सूर्य वाम नेत्र का नाशक होता है|

~सुषमा~

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